क्या 2025 में भारत मंदी से बच पाएगा? टैरिफ, मुद्रास्फीति और आर्थिक हालात पर विश्लेषण

 क्या 2025 में भारत मंदी से बच पाएगा? टैरिफ, मुद्रास्फीति और आर्थिक हालात पर विश्लेषण!



वर्ष 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था के मंदी के जोखिम को लेकर विभिन्न दृष्टिकोण सामने आ रहे हैं। हाल ही में अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत सहित कई देशों पर लगाए गए नए टैरिफ ने आर्थिक विशेषज्ञों और निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा दी है। इस लेख में, हम वर्तमान आर्थिक संकेतकों, टैरिफ के प्रभाव, और भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण करेंगे ताकि यह समझा जा सके कि क्या भारत में मंदी का खतरा टल गया है या नहीं।

अमेरिकी टैरिफ और भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन ने हाल ही में भारत से आयातित वस्तुओं पर 26% का टैरिफ लगाया है। विश्लेषकों के अनुसार, इन टैरिफ के परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 20 से 40 आधार अंकों की कमी आ सकती है, जिससे यह 6.7% से घटकर लगभग 6.3% रह सकती है। यह आर्थिक मंदी के जोखिम को.

सेवा क्षेत्र की वृद्धि और मुद्रास्फीति की स्थिति

मार्च 2025 में, भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर में मामूली कमी देखी गई, जिसमें HSBC इंडिया सर्विसेज PMI 59.0 से घटकर 58.5 पर आ गया। हालांकि, यह अभी भी विस्तार का संकेत देता है। इसके साथ ही, इनपुट लागत मुद्रास्फीति पांच महीने के निचले स्तर पर आ गई, जिससे RBI को आगामी बैठक में ब्याज दरों में कटौती करने का अवसर मिल सकता है। 


शेयर बाजार की प्रतिक्रिया और निवेशकों की भावना

अमेरिकी टैरिफ की घोषणा के बाद, भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखी गई। निफ्टी 50 में 1.17% की गिरावट आई और यह 22,977.85 पर बंद हुआ, जबकि बीएसई सेंसेक्स 0.97% गिरकर 75,552 पर बंद हुआ। फार्मा और आईटी जैसे सेक्टरों में भी गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ी।Reuters

रुपये की मजबूती और आरबीआई की भूमिका

दिलचस्प रूप से, रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूती दिखाई, 85.2650 पर बंद हुआ। RBI की इस पर कोई कार्रवाई नहीं करने से बाजार में आश्चर्य हुआ, क्योंकि केंद्रीय बैंक आमतौर पर रुपये की मजबूती के समय डॉलर खरीदता है। विश्लेषकों का मानना है कि यह रणनीतिक निर्णय हो सकता है ताकि मौद्रिक नीति को अधिक विस्तारवादी बनाया जा सके और आर्थिक वृद्धि को समर्थन दिया जा सके।

हीरा उद्योग पर टैरिफ का प्रभाव

अमेरिकी टैरिफ का सबसे बड़ा प्रभाव सूरत के हीरा उद्योग पर पड़ा है, जहां 27% का टैरिफ लागू किया गया है। यह उद्योग, जो विश्व के 80% कच्चे हीरों का प्रसंस्करण करता है, अब बड़े पैमाने पर नौकरियों की हानि और व्यापार में कमी का सामना कर रहा है। अमेरिका, जो इस उद्योग के निर्यात का 30.4% हिस्सा रखता है, पर टैरिफ से मांग में भारी गिरावट आई है।


वैश्विक मंदी की संभावना और भारत पर प्रभाव

जेपी मॉर्गन के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रूस कैस्मान के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ के परिणामस्वरूप वैश्विक मंदी की संभावना 60% तक बढ़ गई है। यह भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि वैश्विक मंदी से निर्यात और विदेशी निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

भविष्य की संभावनाएं और नीतिगत सिफारिशें

इन चुनौतियों के बावजूद, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं। UBS ग्लोबल के अनुसार, सुधारों के परिणामस्वरूप भारत 2026 तक विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन सकता है, और 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।United States of America


निष्कर्ष

वर्तमान में, भारतीय अर्थव्यवस्था कई बाहरी और आंतरिक चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें अमेरिकी टैरिफ, वैश्विक व्यापार तनाव, और संभावित वैश्विक मंदी शामिल हैं। हालांकि, सरकार और RBI की नीतिगत प्रतिक्रियाएं, जैसे ब्याज दरों में कटौती और संरचनात्मक सुधार, आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद कर सकती हैं। इसलिए, यह कहना जल्दबाजी होगी कि भारत में मंदी का खतरा पूरी तरह से टल गया है, लेकिन उचित नीतियों और सुधारों के माध्यम से इस जोखिम को कम किया जा सकता है।



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