प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का श्रीलंका दौरा: द्विपक्षीय संबंधों की नई शुरुआत!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय श्रीलंका दौरे पर रवाना हो गए हैं। यह दौरा भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस दौरे में प्रधानमंत्री मोदी श्रीलंका के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे, विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे, और सांस्कृतिक तथा धार्मिक स्थलों का दौरा भी करेंगे। आइए इस लेख में विस्तार से समझते हैं कि यह दौरा क्यों महत्वपूर्ण है, इसके मुख्य उद्देश्य क्या हैं, और इससे दोनों देशों के बीच संबंधों में क्या नए आयाम जुड़ सकते हैं।
दौरे की पृष्ठभूमि
भारत और श्रीलंका के संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से सदियों पुराने हैं। रामायण काल से लेकर आधुनिक राजनीति तक, दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंध रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में, भौगोलिक निकटता के बावजूद, कुछ मुद्दों को लेकर दोनों देशों के संबंधों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। चीन की श्रीलंका में बढ़ती मौजूदगी, तमिल मुद्दा, आर्थिक सहायता और समुद्री सुरक्षा जैसे विषय दोनों देशों के रिश्तों को प्रभावित करते रहे हैं।
इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा न केवल कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह यह संकेत भी देता है कि भारत श्रीलंका को अपने पड़ोसी देशों की प्राथमिकता में ऊँचे स्थान पर रखता है।
दौरे के मुख्य उद्देश्य
प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण उद्देश्य तय किए गए हैं:
1. आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना
भारत श्रीलंका को उसकी आर्थिक स्थिति सुधारने में पहले भी मदद करता रहा है। इस बार भी भारत द्वारा नए ऋण, अनुदान और व्यापारिक अवसरों पर चर्चा होगी। श्रीलंका के बुनियादी ढांचे में निवेश, बिजली परियोजनाएं और बंदरगाह विकास जैसे क्षेत्रों में भारत निवेश बढ़ा सकता है।
2. सुरक्षा और सामरिक सहयोग
हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा एक अहम मुद्दा है। भारत श्रीलंका के साथ साझा गश्त, सूचना साझा करने और तटीय सुरक्षा के लिए सहयोग बढ़ाने पर बल देगा। इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच यह सामरिक दृष्टिकोण से अहम है।
3. तमिल मुद्दा और सांस्कृतिक संबंध
तमिलनाडु और श्रीलंका के उत्तर-पूर्वी हिस्से के बीच सांस्कृतिक और भाषाई समानता है। प्रधानमंत्री मोदी तमिल समुदाय से संवाद कर सकते हैं और उनके विकास के लिए नई योजनाओं की घोषणा कर सकते हैं। इससे भारत-श्रीलंका के सांस्कृतिक संबंधों को भी बल मिलेगा।
4. धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक परियोजनाएं
प्रधानमंत्री मोदी बौद्ध स्थलों की यात्रा करेंगे और भारतीय सहायता से पुनर्निर्मित मंदिरों का उद्घाटन कर सकते हैं। यह धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक जुड़ाव को मजबूत करने का एक बड़ा कदम होगा।
कार्यक्रम की झलक
तीन दिवसीय इस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम काफी व्यस्त रहेगा। उनके संभावित कार्यक्रम कुछ इस प्रकार हैं:
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पहला दिन: श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से शिष्टाचार भेंट, स्वागत समारोह, द्विपक्षीय वार्ता, समझौतों पर हस्ताक्षर।
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दूसरा दिन: कोलंबो में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित व्यापारिक सम्मेलन में भागीदारी, बौद्ध स्थलों का दौरा।
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तीसरा दिन: तमिल बहुल क्षेत्रों का दौरा, स्थानीय जनप्रतिनिधियों से संवाद, सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग।
संभावित समझौते
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर की उम्मीद है, जिनमें शामिल हो सकते हैं:
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द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के लिए नया व्यापार समझौता।
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ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग, खासकर सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश।
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रक्षा सहयोग, प्रशिक्षण और संयुक्त अभ्यास।
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शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत द्वारा सहायता की घोषणाएं।
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सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों की घोषणा।
भारत-श्रीलंका संबंधों में नया मोड़
इस दौरे को दोनों देशों के रिश्तों में एक नए मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। श्रीलंका, जो हाल ही में गंभीर आर्थिक संकट से गुजरा है, भारत की सहायता को अत्यंत महत्वपूर्ण मानता है। भारत द्वारा दी गई समय पर आर्थिक सहायता और मानवतावादी समर्थन ने श्रीलंकाई जनता और सरकार के बीच भारत के प्रति विश्वास बढ़ाया है।
इसके साथ ही, श्रीलंका भी भारत के साथ अपने पारंपरिक रिश्तों को मजबूत करना चाहता है, ताकि क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर संतुलन बना सके।
भारत की "नेबरहुड फर्स्ट" नीति में श्रीलंका की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी की "नेबरहुड फर्स्ट" नीति के अंतर्गत श्रीलंका को एक प्रमुख स्थान प्राप्त है। यह दौरा उसी नीति का हिस्सा है, जिसमें भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ मजबूत साझेदारी को प्राथमिकता देता है। चाहे वह नेपाल हो, भूटान हो, बांग्लादेश हो या श्रीलंका—भारत इन देशों के साथ बहुपक्षीय संबंधों को गहरा करना चाहता है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह तीन दिवसीय श्रीलंका दौरा केवल औपचारिकता भर नहीं है, बल्कि यह भारत-श्रीलंका संबंधों की नई दिशा और दशा तय करने वाला कदम है। यह यात्रा दर्शाती है कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी बनाए रखना चाहता है।
दौरे के दौरान होने वाले समझौते, घोषणाएं और मेल-जोल भविष्य के लिए एक स्थायी नींव रखेंगे, जिससे न केवल दोनों देशों को लाभ होगा, बल्कि समूचे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को भी बल मिलेगा।
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